Wednesday, March 16, 2011

साथियो,


नीरज जैन के लेख और सुझाव तथा डा सदगोपाल की टिपणी का मै पूर्ण समर्थन करता हु और जो भी साथी अपने शहरो/ कस्बो में अणुराक्षस दहन का छोटा से छोटा कार्यक्रम कर सकते हो वह मानवता के पक्ष में, उसके बचाव के लिए बढाया हुआ सही दिशा में एक कदम होगा.



सारी दुनिया जानती है की हिरोशिमा - नागासाकी की घटना और चेर्नोबिल दुर्घटना से मानव को कितनी सीखे मिली. भोपाल त्रासदी एक गैस लिक की दुर्घटना थी उसकी गूंज अगले सैकड़ो सालो तक गूंजती रहेगी. दुर्घटना से ज्यादा हमारे लालची धनासेठो का, हमारी न्यायव्यवस्था का, हमारे राजनेताओ की नाकामियो का, हमारी अदुर्दार्शिता का इतिहास होगा वह सब. सबके ऊपर हमारे परमाणु वैज्ञानिकों और बुधिजियो के विचारो का, जो जापान में हुई इस प्राकृतिक दुर्घटना से कुछ सीखने के बजाय गलत तर्क और तथ्य का इस्तेमाल कर रहे है और टीवी पर बैठकर यह कह रहे है की हमारे भारतीय परमाणु संयंत्र पूरी तरह सुरक्षित है. ये सरकारी कृपा पर टिके हुए सरकारी संवादों की हां में हां मिला रहे है. जब इतनी अच्छी कार्य संस्कृति वाले जापान और रूस परमाणु दुर्घटनाओ से अपने और दुनिया के लोगो को बचाने में सक्षम नहीं है तो भारत या दुनिया की किसी और सरकारों के भरोसे तो मानवता को नहीं छोड़ा सकता है.



अतः सभी सही सोच वाले नागरिको से मेंरा अनुरोध है की कुछ लालची लोगो, मार्केट इकोनोमी और अक्षम सरकारों की नीतियों का विरोध करते हुए विकास के इन खतरनाक तौर तरीको और जीवन जीने के अप्राकृतिक तरीको को बढ़ावा देने वाली तकनीको, प्रचारतंत्रो और नीतियों का खुलकर विरोध करे. यह विरोध भूमंडल के स्तर पर होगा क्योकि अब हर समस्या का भूमंडलिकरण हो रहा है.



डा वी एन शर्मा



१६ मार्च २०११ १२:१३ अपराह्न को, Anil Sadgopal ने लिखा:

- उद्धृत पाठ छिपाएँ -





प्रिय साथियो,



लोकायत, पुणे के नीरज जैन का जापानी सुनामी एवं परमाणु हादसे के संदर्भ में लिखा पत्र फ़ार्वर्ड कर रहा हूं। ध्यान से पढ़ लें। इसमें प्रस्तावित जैतपुर परमाणु बिजली घर (जो फ़ुकूशिमा से बड़ा होगा) के खिलाफ़ दो कार्यक्रमों का जिक्र है। खासकर, मुझे होलिका दहन पर अणुराक्षस का दहन करने का प्रस्ताव भोपाल के लिए भी जंचा। मैं कुछ निजी कारणों से इस मामले में पहलकदमी करने की हालत में नहीं हूं। यदि आप लोगों में से कोई पहलकदमी करें तो यह देश की बड़ी सेवा होगी। हमें भारत को परमाणु हादसे से बचाना है तो महाराष्ट्र के जैतपुर और मध्य प्रदेश के चुटका (मंडला जिला) को रुकवाने के लिए जनता को जगाना होगा। होली पर अणुराक्षस जलाना इस दिशा में एक कदम होगा।



इटारसी के राजेश व्यास (अध्यक्ष, शिक्षा अधिकार मंच, जिला होशंगाबाद) का कल फोन आया था कि इटारसी से 15-20 लोग 19 मार्च को भोपाल आएंगे और बोर्ड आफिस से रोशनपुरा चौराहे तक मैराथन दौड़ लगाएंगे और वहां लकड़ी-रहित होली जलाएंगे। उनका मकसद पर्यावरण की चेतना जगाना है। लेकिन उन्हें भी समझाया जा सकता है कि आज के संदर्भ में अणुराक्षस जलाने से बेहतर कोई और मुद्दा नहीं हो सकता। राजेश व्यास का नंबर – 8109347968.



अब कमान आपके हाथ में है। यदि ऐसा कोई भी काम हुआ तो अणुराक्षस (या उससे भी बेहतर कोई और प्रतीक) को जलाने में मैं आपके साथ हाजिर रहूंगा। इससे अधिक कुछ और नहीं कर पाऊंगा।



आप सबको झकझोरने के लिए मार्टिन नीमोलर (1945) की ऐतिहासिक कविता नीचे पेश कर रहा हूं। याद रखें कि जो फ़ुकुशीमा में हुआ है, वह कल जैतपुर और चुटका में भी हो सकता है। फ़ुकुशीमा से निकली रेडियोधर्मी विकिरण टोक्यो और पड़ोसी मुल्क रूस के व्लादीवास्तोक नामक शहर में भी पहुंच चुका है। कल जैतपुर, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चुटका (मंडला जिला) से निकला रेडियोधर्मी विकिरण क्रमशः मुंबई-पुणे और जबलपुर-भोपाल भी पहुंच सकता है। इस नजरिए से मार्टिन नीमोलर की निम्नलिखित कविता एकदम सटीक है। यदि इस खौफ़नाक मौके पर सोते रहे तो इतिहास हमें कभी माफ़ नहीं करेगा।



अब युवा शक्ति की पहलकदमी की इंतजार में,



ज़िंदाबाद।



- अनिल सद्गोपाल