कृपया इसे मेंरे विचारों के साथ पढ़ें
http://www.hastakshep.com/hindi-news/nation/2014/08/21/aiims-chief-vigilance-officer-sanjiv-chaturvedi-was-removed-from-his-post?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+Hastakshepcom+%28Hastakshep.com%29#.U_XWzvl_uxU
http://www.hastakshep.com/hindi-news/nation/2014/08/21/aiims-chief-vigilance-officer-sanjiv-chaturvedi-was-removed-from-his-post?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+Hastakshepcom+%28Hastakshep.com%29#.U_XWzvl_uxU
मेरे विचार :
यों तो नरेंद्र मोदी जी का या भाजपा का इतिहास कोई ज्यादा ईमानदारी का नहीं रहा है क्योंकि येदुरप्पा की अगुआई में ढेर सारे भाजपाई कई भ्रष्टाचार के मामले में अभी भी फंसे हुए हैं और मोदी जी के बारे में अदानी अम्बानी के किस्से खूब चले फिर भी ह्रदय परिवर्तन का प्रावधान बचा रहता और 'न खाएंगे, न खाने देंगे' का नारा देने का स्कोप भी. लेकिन उनके अनुयायी और समर्थक एक ग़लतफ़हमी में रहते हैं और उसको इस तरह प्रचारित करते हैं कि मोदी जी अगर इस तरह अकेले दम चुनाव जीते हैं तो वह भी उनकी ईमानदारी का सबूत है उसमे कोई खुली छिपी उनकी भ्रष्टाचार विरोधी चरित्र भी मतदाताओं को अवश्य दिखी होगी। ऐसे लोगों को ज्ञात होना चाहिए कि कांग्रेस के निकम्मेपन और भ्रष्ट आचरण से ऊबकर जनता कोई विकल्प ढूंढ रही थी जिसमे भाजपा सरकार में वापस आ गयी. जबतक जनता के पास अच्छा विकल्प नहीं होगा NDA-UPA-UF का म्यूजिकल चेयर का यह खेल चलता रहेगा। अटल जी तो शाइनिंग इंडिया का बैनर लिए हुए ही कांग्रेस के हाथो पराजित हुए और सत्ता से बाहर गए. मोदी जी का 'न खाएंगे, न खाने देंगे' का पहला नमूना भी संजीव चतुर्वेदी जैसे एक ईमानदार अधिकारी को ही बनना था तो सरकार की मंशा स्पष्ट हुयी और साख नीचे की ओर फिसली। आगे आगे देखिये होता है क्या?
यों तो नरेंद्र मोदी जी का या भाजपा का इतिहास कोई ज्यादा ईमानदारी का नहीं रहा है क्योंकि येदुरप्पा की अगुआई में ढेर सारे भाजपाई कई भ्रष्टाचार के मामले में अभी भी फंसे हुए हैं और मोदी जी के बारे में अदानी अम्बानी के किस्से खूब चले फिर भी ह्रदय परिवर्तन का प्रावधान बचा रहता और 'न खाएंगे, न खाने देंगे' का नारा देने का स्कोप भी. लेकिन उनके अनुयायी और समर्थक एक ग़लतफ़हमी में रहते हैं और उसको इस तरह प्रचारित करते हैं कि मोदी जी अगर इस तरह अकेले दम चुनाव जीते हैं तो वह भी उनकी ईमानदारी का सबूत है उसमे कोई खुली छिपी उनकी भ्रष्टाचार विरोधी चरित्र भी मतदाताओं को अवश्य दिखी होगी। ऐसे लोगों को ज्ञात होना चाहिए कि कांग्रेस के निकम्मेपन और भ्रष्ट आचरण से ऊबकर जनता कोई विकल्प ढूंढ रही थी जिसमे भाजपा सरकार में वापस आ गयी. जबतक जनता के पास अच्छा विकल्प नहीं होगा NDA-UPA-UF का म्यूजिकल चेयर का यह खेल चलता रहेगा। अटल जी तो शाइनिंग इंडिया का बैनर लिए हुए ही कांग्रेस के हाथो पराजित हुए और सत्ता से बाहर गए. मोदी जी का 'न खाएंगे, न खाने देंगे' का पहला नमूना भी संजीव चतुर्वेदी जैसे एक ईमानदार अधिकारी को ही बनना था तो सरकार की मंशा स्पष्ट हुयी और साख नीचे की ओर फिसली। आगे आगे देखिये होता है क्या?
No comments:
Post a Comment