Oct 26, 01:20 pm
नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र [बीएआरसी] सहित देश के प्रमुख संस्थानों की अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए कोष में कमी किए जाने पर सरकार की जमकर खिंचाई की है।
विज्ञान प्रौद्योगिकी पर्यावरण एवं वन मामलों की संसदीय समिति ने परमाणु ऊर्जा विभाग से कहा है कि वह अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त कोष आवंटन का मामला आगे बढ़ाए। समिति ने पाया कि बीएआरसी इंदिरा गांधी सेंटर फार एटामिक रिसर्च, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रोन सेंटर, राजा रमन्ना सेंटर फार एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च सहित विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास की योजनाओं के लिए कोष में कटौती कर दी गई।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रमुख प्रौद्योगिकियों के व्यापक अनुसंधान एवं विकास में जुटे अग्रणी संस्थानों के कोष में कटौती की गई है। निश्चित रूप से इससे परमाणु ऊर्जा के लिए किए जा रहे अनुसंधान एवं विकास पर असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति यह नहीं समझ पा रही है कि कोष आवंटन में कटौती के बाद विभाग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपने लक्ष्य हासिल कैसे करेगा।
समिति ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में योजना आयोग और वित्त मंत्रालय विभाग के आवंटन को अंतिम रूप देते समय पूरी सावधानी बरतेंगे। सरकार ने समिति को बताया कि उसने वित्त मंत्रालय और योजना आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है और भविष्य में विभाग के आवंटन को अंतिम रूप देते समय पूरी सावधानी बरती जाएगी। समिति ने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग को अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं के लिए व्यापक आवंटन की मांग को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाना चाहिए ताकि बजट अनुमान में इसके लिए पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित हो सके। समिति ने यह भी कहा कि विभाग ने बजट आवंटन का प्रस्ताव रखने या उसे अंतिम रूप देने से पहले चल रही परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों की प्रगति की निगरानी एवं समीक्षा के लिए जो निगरानी प्रणाली विकसित की है उसे भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोष में कटौती की कोई संभावना न रहे। सरकार ने समिति को बताया कि वर्तमान निगरानी प्रणाली कारगर तरीके से काम कर रही है।
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