नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्री समूह [जीओएम] के आदेशों का उल्लंघन कर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को मंत्रालयों एवं दूसरे सरकारी कार्यालयों में तैनात करने को लेकर गृह मंत्रालय की खिंचाई की है।
संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कैग ने कहा कि गृह मंत्रालय ने जीओएम के आदेशों को लागू करने के बजाए बीएसएफ और सीआरपीएफ को मंत्रालय के कामों में लगाया। इसने कहा कि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का विश्लेषण करने पर पाया गया कि विभिन्न रैंकों के सुरक्षाकर्मियों को बड़ी संख्या में मंत्रालयों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों में गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर तैनात किया गया। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ और सीआरपीएफ के मुख्यालयों और इसके महानिदेशक के दिल्ली कार्यालयों में सुरक्षाकर्मियों की संख्या स्वीकृत संख्या की तुलना में बहुत ज्यादा है। ऐसा इसलिए है कि बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को उनके सामान्य कार्यस्थल से हटाकर मुख्यालयों में कई सालों तक उनकी तैनाती कर दी जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ के मामले में अनधिकृत अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती 168 फीसदी है, जबकि सीआरपीएफ के मामले में यह 32 फीसदी है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरक्षाकर्मियों को कार्यस्थलों से हटाकर दिल्ली स्थित उनके महानिदेशकों के कार्यालयों में तैनात करने से राजकोष को जबरदस्त हानि हुई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाईयों को सुरक्षा उपलब्ध कराने वाली सीआईएसएफ को लंबे समय से उसकी सेवा के बदले आठ करोड़ 12 लाख रुपये का बिल भुगतान नहीं किया गया। बिल का भुगतान नहीं करने वालों में एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया, हिंदुस्तान आर्गेनिक केमिकल्स और हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड शामिल हैं। कैग ने आईटीबीपी के महानिरीक्षक की भी खिंचाई की है। इसने कहा कि उसके कार्यस्थलों से 30 से 40 गाडि़यों को अवैध तरीके से हटाकर मुख्यालय में तैनात किया गया है। इससे 2002-03 से 2006-07 के बीच पेट्रोल, डीजल और रखरखाव पर एक करोड़ 39 लाख रुपये बर्बाद किए गए।
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