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Wednesday, October 22, 2008
दलाल स्ट्रीट पर फिर कहर टूटा -A Jagran-Yahoo! Story
Oct 06, 05:28 pm
मुंबई। अमेरिका समेत कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को अपने पैरों तले रौंद रहा
वित्ताीय संकट सोमवार को दुनिया के शेयर बाजारों पर कहर बनकर टूट पड़ा। दलाल
स्ट्रीट समेत विश्व के तकरीबन सभी स्टाक एक्सचेंज बिकवाली की आंधी के रूप में
बरपे इस कहर का आसान शिकार बन गए और इनके सूचकांक भरभराकर चारों खाने चित्ता हो
गए।
बंबई स्टाक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टाक एक्सचेंज के
निफ्टी का भी यही हाल रहा। कच्चे तेल की गिरती कीमतें भी शेयर बाजारों का सहारा
बनने में नाकामयाब रहीं जिससे एक और सोमवार सेंसेक्स के मुंह पर गिरावट की
कालिख पोतने में सफल रहा। सेंसेक्स की पहले की भी कई बड़ी गिरावटें इसी दिन के
नाम दर्ज हैं।
अमेरिका के लिए मुसीबत बने सब प्राइम संकट के कारण सुरक्षित निवेश विकल्पों की
तलाश में निवेशकों ने बाजार से जमकर धन निकासी की। इससे सेंसेक्स 724.62 अंक
गिरकर दो वर्षो के न्यूनतम स्तर 11801.70 पर पहुंच गया। सेंसेक्स 19 सितंबर
2006 के बाद पहली बार 12 हजार अंक के नीचे आया है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज के
निफ्टी की भी यही गति हुई। यह 215.95 अंक अर्थात 5.66 फीसदी का गोता लगाकर
3602.35 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स शुक्रवार के 12526.32 अंक की तुलना में
12284.49 अंक पर कमजोर खुला। बिकवाली के दबाव के चलते यह उठने की सोच भी नहीं
पाया। नीचे में 11732.97 अंक तक गिरने के बाद कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स
5.78 प्रतिशत के नुकसान से 11801.70 अंक पर बंद हुआ।
बिकवाली दबाव ने बीएसई के किसी भी वर्ग के सूचकांक को बढ़ने का मौका नहीं दिया।
इसके मिडकैप में 7.13 प्रतिशत की गिरावट रही। इसका सूचकांक 333.57 अंक गिरकर
4344.23 अंक रह गया। स्मालकैप 378.47 अंक अर्थात 6.92 प्रतिशत के नुकसान से
5086.93 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल सभी तीस कंपनियों के शेयरों को
झटका लगा। सेंसेक्स से जुड़ी तीस कंपनियों में बिकवाली का दबाव इतना अधिक था कि
नुकसान वाली पहली बीस कंपनियों के शेयरों में पांच प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट
दर्ज की गई। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की चिंता में आईटी कंपनियों के शेयर भी टूटे।
सेंसेक्स में शामिल इस वर्ग की चारों बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह नीचे आए।
एशिया के अन्य बाजारों का भी बुरा हाल था। ब्रिटेन के शेयर बाजारों की स्थिति
भी खराब रही। यहां का मुख्य सूचकांक एफटीएसई-100 को 233 अंक का झटका खाना पड़ा।
कच्चे तेल की कीमतें आठ माह के बाद पहली बार 90 डालर प्रति बैरल से नीचे आई
हैं। ग्यारह जुलाई के 147.27 डालर प्रति बैरल के रिकार्ड भावों से तुलना की जाए
तो कच्चा तेल 40 फीसदी तक टूट चुका है। ग्लोबल मंदी की आशंका ने इस सकारात्मक
खबर का भी असर नहीं दिखाया। बाजार विशलेषकों का कहना है कि शेयर बाजारों में यह
दहशत बनी हुई है कि विदेशी संस्थागत तेजी से अपना धन निकाल सकते हैं। यही आशंका
बाजारों पर भारी पड़ रही है।
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