Saturday, August 23, 2014

अगर सबकुछ पीपीपी मोड में तो सरकार की क्या आवश्यकता है.... ?

Aug 08, 2014
मेरी टिप्पणी :

अगर सबकुछ पीपीपी मोड में तो सरकार की क्या आवश्यकता है.... ?
इस खबर से प्रश्न यह उठता है कि अगर सबकुछ पीपीपी मोड में ही होनी है तो सरकार की क्या आवश्यकता है? सरकार और उनके अधिकारी अगर इतने अक्षम हैं तो उन्हें मोटी मोटी तनख्वाह और सर्वश्रेष्ठ सुविधाएँ क्यों दी जानी चाहिए? फिर प्रश्न यह भी है कि झारखण्ड की सरकार उन 90 प्रतिशत गरीबों को स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षित आवास, जैसी जीवन की मूलभूत सुविधाएं क्या पीपीपी मोड में उपलब्ध कराएगी? या कि ये सुविधाएँ उन लोगों के लिए होंगी जो बड़ी आमदनी बड़ी तनख्वाह से या सरकार या कंपनी से जिन्हे मेडिकल बिल का भुगतान होता है? अगर सोच ये है तो फिर अवाम के लिए इस निजीकरण का कोई मतलब नहीं है. फिर इसे निजी हाथों में क्यों देना।
दिल्ली की सरकार ने दर्जनो निजी अस्पतालों के लिए लगभग मुफ्त में ज़मीन और सुविधाएं मुहैया कराई इस शर्त पर कि ये अस्पताल ख़ास संख्या की सीटें /बेड उन गरीबों के लिए रखेगी जो इसका खर्च नहीं उठा सकते। दूरदर्शन के एक संक्षिप्त बहस में पता चला की दिल्ली की उन निजी अस्पतालों में कही वह समझौता लागू नहीं है जिसके अनुसार कुछ ख़ास संख्या में बेड या सीटें उन गरीबों के लिए रिज़र्व होंगी जो उसका भुगतान नहीं कर सकते। अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल के जो अब चेयरमैन हैं वे खुद दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी थे जब अपोलो अस्पताल खुलने का समझौता हो रहा था. जांच समिति ने यह पाया की दिल्ली के इन निजी अस्पतालों में वे सभी गरीबों के लिए रखे गए बेड पॉलिटिशियन्स और नौकरशाहों के रिश्तेदारों को दिया जाता है. लगभग यही कहानी सभी राज्यों के पीपीपी मॉडल के अस्पतालों की है. क्या झारखण्ड सरकार इन तथ्यों से अनभिज्ञ है और है तो फिर उस राह पर क्यों चलना जो कुछ भ्रष्ट तरीके से कोढ़ में खाज बन जाये.
बात और भी है कि सरकार को इस तरह के फैसले छिपकर लेने के बजाये झारखण्ड के शहरों और गावों के लोगो/ नागरिक और डॉक्टर समूहों से इसके विकल्प पर विचार विमर्श करनी चाहिए। नहीं तो यह निष्कर्ष दाल में कुछ ज्यादा ही काला दिखेगा।
स्पष्ट है कि ये पीपीपी योजनाये या सोंच सिर्फ रांची के लिए नहीं अपितु पुरे झारखण्ड के लिए है. अतः झारखण्ड नागरिक प्रयास को अपने नाम के अनुकूल कार्य विस्तार करते हुए पुरे झारखण्ड के लिए पीपीपी का विकल्प देना होगा।
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